【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】
09 Sep 2017
राममंदिर निर्माण के लिए क्या बोर्ड राज़ी हो जाएगा?
अनम इब्राहिम
तीन तलाक़ के मुद्दे पर भी होगी गौर-ओ-फिक्र!!
भोपाल आज ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फ़ैसले पर देश दुनिया की नज़र गड़ी हुई है ज़्यादातर लोगो के लबो पर दुआएं खेर है और दिलों में अमन की मन्नत की आज के मशवरे में तय किए गए फैसलों का मोहब्बतनामा सामने आते ही दुनियाभर में एक अनोखी एकता की मिसाल क़ायम हो सके। हाल ही में हो रहे बोर्ड के मशवरे में बाबरी मस्जिद और तीन तलाक़ दोनों के ही मसले पेचीदगियों में गोते लगा रहे हैं एक तरफ़ संविधान और दूसरी ज़ानिब शरीयत का अमलीज़ामा दो धारी तलवार से कम नही है जहां से भी पकड़ेंगे हाथ कटना लाज़मी है।
बहरहाल तीन तलाक़ पर देश की मुख्य इन्साफ़गाह सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पिट के फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की यह पहली बैठक है जो आज भोपाल में हो रही है। जहां बाबरी मस्जिद और तीन तलाक़ पर कुछ बड़े फ़ैसले तय किए जाएंगे। अब तक तीन तलाक़ पर बोर्ड की शुरुवाती दौर से ही एक राय रही है कि तीन तलाक़ का मसला शरियत से जुड़ा हुआ है लिहाज़ा शरियत में दख़ल अंदाज़ी का सरकार और अदालत को कोई हक़ नही है अब देखना यह है कि अदालत के फैसले के बाद बोर्ड के मशवरे में तीन तलाक़ पर क्या राय बनती है।
दूसरा एहम मुद्दा राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद है जिस के फ़ैसले पर दुनियाभर की टुकटुकी लगी हुई है वैसे तो थोड़े वक़्त पहले से ही बाबरी के मामले में नए मोड़ आना शुरू हो गए थे। पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ कल्बे सादिक़ ने मुम्बई की एक आम मजलिश में कहा था कि अगर बाबरी मस्ज़िद की पैरवी करने वाले सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या के ज़मीनी टुकड़े का मुक़दमा जीत भी जाएं तो उन्हें वो जगह मंदिर बनाने के लिए दे देना चाहिए क्योंकि हम एक प्लॉट हारेंगे और करोड़ो दिल जीत लेंगे। बात यही नही थमी देश के कई मुस्लिम संगठनों ने भी इसी राय को अलग अलग अंदाज़ में सार्वेजनिक किया मुक़दमे में बतौर एक शिया वक़्फ़ बोर्ड पक्षकार काफ़ी वक़्त से मुसलमानों से ये इल्तेज़ा कर रहा है कि विवादित भूमि से अपना दावा वापस लेले और स्थान को राम मंदिर के लिए देदे शिया बोर्ड का कहना है कि मस्ज़िद अयोध्या के अतराफ़ में या फैज़ाबाद में बना लिया जाए जहां मुस्लिम आबादी ज़्यादा हो और लोग उसे सजदों से आबाद रख सके। उसके साथ शिया बोर्ड की एक और राय सामने आई थी कि नई मस्ज़िद का नाम बाबर की जगह मस्ज़िद-ए-अमन रखा जाए। कुछ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों के हक़ में फैसला भी करदे तो वहां से रामलला कि मूर्ति को हटाना नही चाहिए और राम मंदिर के लिए मुसलमानों को जगह छोड़ देनी चाहिए हालांकि अभी तक बाबरी मस्ज़िद के पैरवीकारो का अब तक मानना है कि मामला अदालत में है अदालत ही तय करेंगी की यहां क्या बनेगा। वो यह मानते है कि पहले तो एक क़दीमी अच्छी खांसी बनी बनाई मस्ज़िद को शहीद कर दिया अब ज़बरन उन्हें वहां से बेदख़ल कर रहें है इन तमाम हालातों के हल आज मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मशवरे में छुपे हुए है। अब देखना यह है कि बोर्ड का यह मशवरा देश के लिए एकता शांति अमन का सबब बन सकता है और सियासत के लिए एक बड़ी शरारत भी।
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