अख़बार की दुनिया मे बेबाक़ी का सबसे बड़ा कलेजा

【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】



Jansamparklife.com







हनुमान मंदिर के पुजारी ने नाबालिग़ की आबरू पर डाला हाथ!!

21 Apr 2019

no img

-अनम इब्राहिम-

Ps कोह-ए-फ़िज़ा आस्था के आशियाने पर भी मेहफ़ूज़ नहीं नारी की अज़मत!!

जनसम्पर्क-life

भोपाल: सुबह सुबह दुनिया जब जागती है तो ईश्वर अल्लाह के अच्छे-सच्चे मासूम बन्दे मन्दिर-मस्जिद की दहलीज़ पर दस्तक देकर ऊपर वाले के सामने हाजिरी लगा उसकी परस्तिश का इक़रार करते हैं। ऐसा ही माज़रा कल सुबह लगभग 8:30 बजे थाना कोह-ए-फ़िज़ा के हनुमान मंदिर की पवित्र दहलीज़ के भीतर गुज़रा। 9 साल की मासूम तन्हा मन्दिर में जल चढ़ाने पहुंची जिसे अकेला देख साधु के रूप में वहशी दरिंदे पुजारी की निगाह फिसल गई। पुजारी द्वारा मासूम बच्ची को प्रसाद देने के बहाने बहला फुसलाकर मन्दिर के ही एक कमरे में ले गया और तन्हाई देख उसके साथ जबरदस्ती करने की क़वायद की गई। तभी अचानक मोहल्ले के युवाओं को भनक लग गई और बिना वक़्त गवाए युवाओं ने पुजारी को दबोच लिया। जिसके बाद मन्दिर में छुपे हवस के पुजारी को मार-मार कर रहवासी युवाओं ने कुत्ता बना दिया। बहरहाल वक़्त रहते बच्ची की लूटती आबरू को बचा लिया गया और हवस के भेड़िए पुजारी की धुक्कस पिटाई करते हुए थाना कोह-ए-फ़िज़ा में धकेल दिया। बहरहाल पुजारी पर पुलिस ने मुक़दमा दर्ज़ कर गिरफ़्तार तो कर लिया लेकिन इस मामले के बाद ये बड़ा सवाल समाज के भीतर फिर नश्तर की तरह चुभ गया। थोड़े ही समय पूर्व भी थाना पिपलानी के मंदिर के पुजारी द्वारा छोटी बच्चियों की आबरू लूटने की वारदात सामने आई थी जिसमें एक ही परिवार ने हिम्मत दिखा FIR दर्ज़ करवाकर मामला उज़ागर किया था। परन्तु इज्जत की धज्जियां उड़ने के डर से कई पीड़ित माँ-बाप ख़ामोश ही रहे। – दोस्तो मन्दिर हो या मस्ज़िद माज़ार हो या हो गिरजाघर आज के इस दौर में कोई भी जगह तन्हा नाबालिग़ बच्चों के लिए मेहफ़ूज़ नहीं है। इसलिये तमाम मज़हबी रहवासियों को चाहिए कि मंदिर मदरसों व धार्मिक तालिमगाहों के गुरु-उस्तादों पर पैनी नज़र रखे क्योंकि अक्सर धोका वो ही देते हैं जिन के ओहदों पर ज़माना एहतबार करता है। नाज़ाने ऐसे कितने मासूम इस तरह के ज़ालिमों के शिकार होकर ख़ामोश होंगे। हमे चाहिए कि अपने नादां नासमझ बच्चों को तनहा ना छोड़े मन्दिर हो या हो मदरसा कहीं भी अपनी नासमझ बच्चियों को तन्हा ना जाने दें अगर हल्का सा भी किसी पर शक हो तो बेख़ौफ होकर नज़दीकी पुलिस को इत्तेला करें। आस्था के तमाम आशियाने ईश्वर के दर हैं घर हैं लेकिन वहां भी धोखेबाज़ों के गढ़ हैं महरबानी बच्चों को लेकर चाहे वो किसी के भी बच्चे क्यों ना हो चौकन्ना रहें। साथ में अपने नज़दीकी बच्चों की तरबियत भी करें कि वो इस तरह के हर नामुनासिब हालातों से जूझने के लिए तैयार हों। दोस्तो दिल मेें अगर खुदा है तो वहां शैतान भी है जो मन को मिज़ाज को कब बदलकर मानव से दानव बना दे कुछ कहा नहीं जा सकता। आज समाज को खुद समाज की जागरूकता की ज़रूरत है। महरबानी जाग जाओ और आसपास के लोगो को जगाओ बचपन हर बच्ची का एक नाज़ुक कली की तरह है जिसे टूटने मसलने बर्बाद होने मुरझाने के गुनाह में हम सब की लापरवाही ही शामिल है
मसरूफियात, मसगुलियात की इस मौक़ा परस्त ज़िन्दगी में बच्चों का सब के बच्चों का बस बच्चों का ध्यान रखें अल्लाह व भगवान आप का ध्यान रखेगा।

लव यू एवरी चाइल्ड

मध्यप्रदेश जुर्मे वारदात महिला अपराध बाल अपराध