अख़बार की दुनिया मे बेबाक़ी का सबसे बड़ा कलेजा

【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】



Jansamparklife.com







क्या PFI पर भी सरकार SIMI की तरह कसेगी नकेल!!

23 Sep 2022

no img

Anam Ibrahim

7771851163


भोपाल व प्रदेश भर में PFI के 50 हज़ार से ज़्यादा सदस्य ......

PFI के गजवा-ए-हिन्द के लश्कर के सिपाही की सदस्यता सूची को NIA ही नही भारत की सभी ख़ुफ़िया एजेंसी मिलकर भी तलाशे तो हाथ खाली ही रहेंगे, वजह PFI ने देशभर के भीतर थोकबंद शाखाओं में अपने नुमाइंदे बाट दिए जैसे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया-कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया-राष्ट्रीय महिला मोर्चा-अखिल भारतीय इमाम परिषद-अखिल भारतीय कानूनी परिषद-रिहैब इंडिया फाउंडेशन-नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमर राइट ऑर्गनाइजेशन-सोशल डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन-एचआरडीएफ ऐसे में NIA की छापामार कार्यवाही कोलू के बेल की तरह समझो या यूं कहों की धूल में लाठी पीटना है या यूं कहों की .....


भोपाल/मध्यप्रदेश: देशतज़दा देश की ख़ुफ़िया एजेंसी किस के इशारे पर ताबड़तोड़ PFI पर टूट पड़ी है..

क्लिक करिए और जानिए PFI के मक़सद को ? व उसके ठिकानों को और उसकी कार्यप्रणाली को .......

मध्यप्रदेश: पीएफआई के खात्मे के लिए गिरफ्तारी और धरपकड़ का ये आंकडा लगाातार बढ़ता नज़र आ रहा है. एनआईए के चाल चलन से साफ है कि साजिश करने वाले इस संगठन का कोई सिरा वो छोडना नहीं चाहती. 2007 से पीएफआई पर जब भी एक्शन होना शुरू होता है तो वो अपना कोई और चेहरा सामने ले आती है. आतंकी साजिश से इंकार करने लगती है. लेकिन अब जांच एजेंसी की थैली में   उसके खिलाफ कार्यवाही के लिए सबूतीया चारा  हैं अब PFI कि उसकी दलीलों से दाल नहीं गलते नज़र आ रही है बहरहाल 

 क्या है PFI? क्या है इसका मक़सद? क्यों हुई ये बदनाम? पॉपुलर फ्रंट के ज़मीनी ख़ुलासे के बारे में जानिए

लगातार नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी द्वारा दिल्ली समेत 11 राज्यों में Popular Front of India के ठिकानों पर छापेमारी की शख़्त कार्यवाही का सिलसिला चला है. ऐसे में आइए हम जानते हैं कि PFI क्या है और इसका कार्य व मक़सद क्या है.

क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया

 देश भर में जमी जड़े बना चुका पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI एक बार फिर से चर्चा में आकर शुरकियाँ बटोरता नज़र आ रहा है. इस बार का कारण तनिक अलग है एनआईए की छापेमारी. दरअसल, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी ने दिल्ली समेत 11 राज्यों में PFI के ठिकानों पर सिलसिलेवार छापेमारी की है. इस दौरान 106 से ज्यादा लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. वैसे यहां गौर करने वाली बात तो ये है कि NIA द्वारा किया गया ये अचानक ऑपरेशन  अब तक सबसे बड़ा ऑपरेशन आंका  जा रहा है, ये वजह में दावा किया जा रहा है कि ये छापेमारी इसलिए शुरू हुई है कि टेरर फंडिंग व ट्रेनिंग कैंप्स की कार्यशाला और लोगों को चरमपंथी बनाने में पीएफआई का हाथ  है.हाल ही में एनआईए ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू के 10 ठिकानों समेत राज्य के अलग अलग हिस्सों में छापेमारी की लगातार कार्यवाही है. इसमें पीएफआई के राज्य अध्यक्ष नजीर पाशा के घर को भी NIA ने निशाना बनाया है हैं. वहीं, छापेमारी को लेकर पीएफआई ने जवाबी हमला बोलते हुए कहा कि, ‘हम फ़ासीवादी शासन द्वारा विरोध की आवाजों को चुप कराने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल करने के कदमों का कड़ा विरोध करते हैं. पीएफआई के बयान ने पुष्टि की कि इसके राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय नेताओं के घरों पर छापेमारी हो रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि पीएफआई क्या है और इसका काम क्या है.

Popular Front of India की स्थापना बुनियाद कब रखी गई?

देश मे पीएफआई को 2007 में दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों ने वज़ूद में लाया केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट इन केरल, दूसरा कर्नाटक का फोरम फॉर डिग्निटी और तीसरा  तमिलनाडु में मनिथा नीति पासराई के विलय के जरिए स्थापित किया गया संघटन एक जुट हुए तब PFI बनी दरअसल, केरल के कोझिकोड़ में नवंबर 2006 में एक मज़हबी बैठक का आयोजन हुआ था, जहां पर तीनों संगठनों को एक साथ लाने का फैसला लिया गया. पीएफआई के गठन का औपचारिक एलान दिनांक 16 फरवरी, 2007 को ‘एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस’ के दौरान बेंगलुरू में चल रही एक रैली में किया गया .


PFI किस मक़सद के तहत अपने  काम को अंज़ाम तक पहुचा रही थी?

देश मे स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगे बैन के बाद सामने आए पीएफआई ने खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है जो अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ता है. इसने कर्नाटक में कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस की कथित जनविरोधी नीतियों को लेकर अक्सर ही इन पार्टियों को निशाना बनाया है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि मुख्यधारा की ये पार्टियां चुनावों के समय एक दूसरे पर मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए पीएफआई के साथ मिलने का आरोप एक-दूसरे पर लगाती हैं.

पीएफआई ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है. हालांकि, जिस तरह से हिंदू समुदाय के बीच आरएसएस, वीएचपी और हिंदू जागरण वेदिक जैसे दक्षिणपंथी समूहों द्वारा काम किया जाता है. ठीक उसी तरह से पीएफआई भी मुसलमानों के बीच सामाजिक और इस्लामी धार्मिक कार्यों को करता रहा है. पीएफआई अपने सदस्यों का रिकॉर्ड नहीं रखता है बस यही वजह है कि इस संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार करने के बाद भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अपराधों को रोकना कठिन हो जाता है.


चुनाव के लिए PFI से निकला SDPI क्या है?

राष्ट्रीय स्तर पे 2009 में, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) नाम का एक राजनीतिक संगठन मुस्लिम, दलितों और अन्य हाशिए पर पड़े समुदायों के राजनीतिक मुद्दों को उठाने के उद्देश्य से PFI से बाहर होकर एक नए संगठन की शक्ल में सामने आया. SDPI का कहना है कि उसका मकसद मुसलमानों, दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों सहित सभी नागरिकों की उन्नति और समान विकास है. इसके अलावा, सभी नागरिकों के बीच उचित रूप से सत्ता साझा करना भी उसका मक़सद है खेर यहां गौर करने वाली बात तो ये है कि पीएफआई एसडीपीआई की राजनीतिक गतिविधियों के लिए जमीनी कार्यकर्ताओं को मुहैया कराने का काम भी करती है.


PFI की मजबूती को देख सरकार घबराई तो जांच का सिलसिला किया शुरू जांच में कई बार ‘शक के कटघरे में PFI’?


2017 (लव जिहाद का आरोप): 2017 में विवादास्पद हादिया केस को ध्यान में रखते हुए एनआईए ने दावा किया कि पीएफआई ने इस्लाम में धर्मांतरण करवाने का काम करवाया है. हालांकि, 2018 में जांच एजेंसी ने इस बात को भी माना कि धर्मांतरण के लिए जोर-जबरदस्ती नहीं हुई थी.

2019 में (श्रीलंका में ईस्टर बम धमाके): एनआईए ने मई 2019 में पीएफआई के कई कार्यालयों पर छापेमारी की. जांच एजेंसी का मानना था कि ईस्टर बम धमाकों के मास्टरमाइंड के लिंक पीएफआई से जुड़े हैं. इस बम धमाके में 250 से ज्यादा लोगों की जान गई थी.बहरहाल

2019 में ही (मंगलुरु हिंसा): जहां खुद मंगलुरु पुलिस ने दावा किया था कि दिसंबर में सीएए-एनआरसी प्रदर्शनों के दौरान पीएफआई और एसडीपीआई के सदस्यों ने हिंसा भड़काई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी.जिसके चलते उस दौरान  कुल मिलाकर पीएफआई और एसडीपीआई के 24 से अधिक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था,


2020 का (दिल्ली दंगा): दिल्ली पुलिस की भी स्पेशल सेल ने इल्ज़ाम लगाया था कि पीएफआई ने दंगाइयों को आर्थिक और लॉजिस्टिक की मदद मुहैय्या करवाई थी. पुलिस ने दावा किया था कि जेएनयू स्कोलर उमर खालिद लगातार पीएफआई सदस्यों के साथ टच में रहता था.

2020 (हाथरस दुष्कर्म मामला): हाथरस में कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के बाद यूपी पुलिस ने पीएफआई के खिलाफ देशद्रोह, धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने और अन्य मामलों में कम से कम 19 केस दर्ज किए. पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को PFI से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

2020 (केरल सोना तस्करी मामला): एनआईए अधिकारियों द्वारा जुलाई 2020 में पीएफआई और एक सोने की तस्करी रैकेट के बीच आपसी संबंधों की जांच की गई, एनआईए के सूत्रों ने बताया कि सोने का इस्तेमाल पीएफआई द्वारा राष्ट्र विरोधी आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग के लिए किया जा सकता है.


बहरहाल मध्यप्रदेश में PFI के जाल का बड़ा ख़ुलासा सिर्फ़ जनसम्पर्क life में जल्द पढ़े प्रदेश में पनपते PFI के अड्डों के ठिकानों के बारे में। 

मध्यप्रदेश जुर्मे वारदात गम्भीर अपराध


Latest Updates

No img

शहर में क़ाबिज़ जंगलराज: सरेराह धारदार हथियार से हुआ मर्डर!!


No img

Honeytrap Case: While matter being heard in Bhopal court scratched CD didn’t worked


No img

After tax invasion accusations Sonu Sood has a different story to tell, posts on twitter


No img

Internship students of BSSS college promote civil laws for women and child protection


No img

जंगल तक पहुचा जबलपुर पुलिस का बुलडोज़र, कब्ज़ामुक्त भूमि के नाम पर रिसॉर्ड को ढहाया!!


No img

आशिक़ ने दिया मोहब्बत में धोखा पहले ब्लात्कार फ़िर माशूका को दूसरी शादी से रोका !


No img

Foetus & dead infant found dumped in drain of Katara Hills Bhopal


No img

Crime branch Bhopal registers case under IT act on INC’s Manoj Shukla, used objectional words against Sarang on FB


No img

Ban on newspaper for serving street food items in Bhopal, Food Safety issues guidelines


No img

पूना महाराष्ट्र में लाखो की डकैती डालने वाली डकैतों की गैंग इन्दौर में पकड़ाई!!


No img

मकां पर नही दिल पर बुलडोज़र चला रहे हो साहेब!!!


No img

Voting started from 7AM in the Capital, 380 candidates for mayor & councillors


No img

HC Justice Rohit Arya reviews E-court servicesin Bhopal, copy of court case now available at home


No img

ज़िंदगी मे ख्वाइशें, आरज़ू,तमन्ना अगर कार बंगला बैंक बैलेंस की हो तो ज़िन्दगी से कोई शिकवा नही लेकिन अगर किसी


No img

कंबल के सहारे जेल की दीवार फांदकर फ़रार बदमाश को इन्दौर क्राइम ब्रांच ने पकड़ा!!