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चार माह के जिंदा बच्चे को कोख़ में रख माँ ने की आत्महत्या, पिता पर हुआ मुक़दमा दर्ज़

04 Apr 2023

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Anam Ibrahim

7771851163 


भोपाल/मप्र: थाना बाग़सेवनिया में दर्ज़ हुए ज़ुर्मनामा नम्बर 185 पर दफ़ा 498ए/304बी की एफआईआर का मज़मून दिल को हिला रोंगटे खड़े कर रूह को कपकपा देने वाला है। दरअसल भोपाल के थाना बाग़सेवनिया की हदों में स्थित सुरेंद्र बिहार कॉलोनी इ 21 के घरनुमा ज़मीनी टुकड़े पर एक 27 वर्षीय रोहित चौहान की पत्नी ने आत्महत्या की वारदात को फांसी के फंदे पल झूल अंज़ाम दिया लेकिन मरने वाली रोहित की पत्नी ने मरते मरते अपनी कोख़ में पल रहे 4 माह के मासूम की भी हत्या कर दी। दरअसल रोहित चौहान का विवाह तक़रीबन 2 वर्ष पहले इटारसी निवासी देविका (परिवर्तित) से हुआ था। ताउम्र रिश्ता साथ निभाने के बंधन में जुड़ने के बाद भी दोनों के दिल एक दूसरे से जुड़ नही पाये सायद यही वजह थी दोनों में आपसी तक़रार का सिलसिलेवार होती थी देविका का गर्भवती थी उसके अंदर एक ओर जान दुनिया मे आने के पहले धड़क रही थी। देविका ने अपने आपसी झगड़े के चलते अपने ही हाथ अपनी हत्या ही नही की जिसे लोग आत्म्यहत्या कहते हैं बल्कि उसने अपनी ही कोख़ में पल रहे बेजनमें बेगुनाह मासूम की भी हत्या कर दी लिहाज़ा पत्नी के द्वारा दी गई आत्महत्या की वारदात के ज़ुर्म पर थाना बागसेवनिया पुलिस ने पति रोहित चौहान पर आत्महत्या के लिए उसकी पत्नी को उकसाने के संगीन इल्ज़ामो के गवाहों को आधार मान तफ़सील विवेचना जारी रखते हुए उसे कसूरवार क़रार दिया है। मृतिका के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपो की तहकीक का सिलसिला रखते हुए हुए थाना बागसेवनियां पुलिस ने भारतीय दण्डसहिंता की धारा 498ए/304B के तहत मृत पीड़िता के पति रोहित के विरुद्ध प्रकरण दर्ज कर लिया है। 

वारदात से सबक: आत्महत्या करना बड़ी ही हिम्मत का काम है लेकिन इच्छा मृत्यु की इजाजत क़ानून नही देता वैसे लोग कैसे खुद ही खुदखुशी कर लेते है जान है तो जहान है। ज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है हर गम्भीर परिस्तिथियो में डटके खड़े रहना भी आदम की औलादों का काम है लेकिन मरने के लिए मज़बूर करने वाले कारणों से अलग होना मरने से ज़्यादा अच्छा है। ज़िन्दगी की क़ीमत उनसे पूछे जिन्हें ज़िन्दगी हासिल नही मर्ज़ से मज़बूर अस्पतालों में दम तोड़ते रोगी जो जीने के लिए जिंदा रहने की उम्मीद में दर्द व मोहताज़गी से कँहार रहे है। ऐसे में एक सेहतमंद शख़्स मौत के मुंह में कैसे खुद की जान को उड़ेल सकता है। जीना जरूरी है भाई मरने के लिए मज़बूर करने वाले हर एक  हादसों से जूझना जरूरी है। 

मध्यप्रदेश जुर्मे वारदात महिला अपराध


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