【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】
12 Feb 2019
अनम इब्राहिम
जनसम्पर्क – life
भोपाल: क्षेत्रीय थानों और तहसीलों में ज़ुल्म ज़्यादती के शिकार हुए मायूस फरियादियों के लिए 23 जून 2009 का दिन उम्मीदों के उजालों के मानिंद था क्योंकी तमाम इन्साफ़गाहो की दर-ओ-दीवारों से जनता के लिए जनसुनवाई की किरचिया रौशनी बन के फूटने लगी थी उस दौरान शहर की सुरक्षा के लिए एक ही कप्तान काफ़ी था जो अभी वर्तमाम भोपाल आईजी है जयदीप प्रसाद। जयदीप जब भोपाल एसपी हुआ करते थे तब हर मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान तक़रीबन 80 से 90 फरियादियों का हुज़ूम दस्तक देता था यही हाल जनसुनवाई का पहले एसएसपी आदर्श कटियार और योगेश चौधरी के समय भी बना हुआ था जब 70-80 फरियादियों के आंकड़े पार हो जाया करते थे। इत्तेफाकन ही ऐसा होता था कि फ़रियादी दोबारा लौटकर आता था लेकिन मौज़ूदा दौर में एक ही फ़रियादी को कई बार अफ़सरों के दफ़्तरों में चक्कर लगाते देखा जाता है 2009 से 14 तक तो ज़्यादातर फरियादियों को जनसुनवाई से तसल्ली नसीब हो जाया करती थी लेकिन 14 के बाद धीरे—धीरे जनसुनवाईयों में फरियादियों की संख्या कम होते चले गई आख़िर क्यों? चलो वजह तलाशते हैं। दरअसल अफ़सरों द्वारा जो जनसुनवाई में निचले स्तर के अधिकारियों को निराकरण के लिए केस फॉरवर्ड किया जाता है उन आम मामलों का आला ज़्यादातर अफसर दोबारा जायज़ा नहीं लेते हैं यही वजह है कि फ़रियादी दोबारा लौटकर अफ़सरों के चक्कर लगाते हैं या मायूस होकर इंसाफ़ की उम्मीद खो देते हैं।
आज जनसुनवाई के दौरान DIG दफ़्तर में कुल 7 फ़रियादी पहुचे थे जिसमे से एक बुज़र्ग महिला फूलवती थाना छोला मन्दिर से तीसरी बार जनसुनवाई में DIG के पास फ़रियाद लेकर पहुची परन्तु आज भी फूलवती के हाथ उदासी ही लगी।
भोपाल कलेक्टर के दफ़्तर में हज़ारों अर्ज़िया जनसुनवाई को छोड़कर कर आड़े दिन भी पहुंचती है। लेकिन सुनवाई ऊंट के मुंह मे जीरे के माफ़िक ही नज़र आती है। जनसुनवाई की तो बात ही अलग आज कलेक्टर छुट्टी पर है लेकिन फिर भी जनसुनवाई में 49 फ़रियादी पहुचे हैरत की बात है जिनमें कई तो बुज़र्ग महिलाएं पहले भी कई बार फ़रियाद लेकर पहुंच चुकी हैं राकेश विस्वरी नामक बुजुर्ग पिछले 5 माह से कलेक्टर के चक्कर काट रहे हैं लेकिन मामले का निराकरण अभी तक नहीं हो सका जहां एक ओर पूर्व के कलेक्टरों के द्वारा आवेदन फॉरवर्ड करने के बाद मामले के निपटारे का गम्भीरता से जायज़ा लिया जाता था तो वहीं वर्तमान कलेक्टर आवेदन आगे बढ़ाने के शौकीन हैं यही वजह है कि फरियादियों की तादाद दिन दुगनी रात चौगनी होते चले जा रही है।
भू माफिया, ज़मीन पर ज़बरन कब्ज़े ऐसे दर्ज़नों गम्भीर शिक़ायतों पर कलेक्टर का ज़ोर नही है। कलेक्टर की दहलीज़ पर दम तोड़ते ऐसे सैकड़ों फरियादियों की दास्तां जनसम्पर्क life की अगली ख़बर में पड़ें। तब तक के लिए आसपास के पीड़ितों की अपने स्तर पर रहबरी करें और सतर्क रहें जिससे कि आप को फ़रियादी ना बनना पड़े।
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