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अड़ीबाजी, रिश्वतख़ोरी के ख़ाकीधारी खलनायक क्राइम ब्रांच के क्रिमिनल!

05 Dec 2019

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क्राइम ब्रांच का फूटा पाप का घड़ा, रिश्वतखोर क्रिमिनल ख़ाकीदारी से अगर कि जाए सख़्ती से पूछताछ तो खुल सकते हैं अपराध शाखा के अन्य भ्रष्ट वर्दीधारियों  के राज !!


 जनसम्पर्क Life

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भोपालः दिन दुगनी रात चौगनी बिगड़ती भोपाल पुलिस की भ्रष्टाचारी छवि को इन दिनों गूगल सर्च इंजन भी उगलने से बाज़ नही आ रहा है। शहर के कई थानों में ऐसे दाग़दार वर्दीधारी बहुत ज़्यादा है जिनकी दर्ज़नो शिकायतें अफ़सरो के बस्ते में बंद है। हैरत की बात है कि इतनी गम्भीर आपराधिक शिकायतों पर क़सूरवार मैदानी अंगत का पैर बने ख़ाकीधारियों को सजा देने की जगह बढ़ावा दे यथावत उस ही स्थान पर रखा जा रहा है। शायद यही वजह है कि हरामख़ोरी की ख़ुराक के आदि ऐसे रिश्वत के राक्षसगण पुलिस प्राणीयों के होसलो को हवा मिल रही है और अवैध कारोबार को छूट, बहरहाल वर्दी बदनाम चाहे किसी एक कि भी हो लेकिन समाज उंगलिया  ख़ाकी की पूरी जमात पर उठाता है। लिहाज़ा ऐसे ही एक वर्दी की आड़ में वसूली व रंगीन मिज़ाजी के लंबे वक्त से मजे ले रही क्राइम ब्रांच की गंदी मछली लोकायुक्त के गल में उस वक़्त फ़स गई जिस वक्त क्राइम ब्रांच के दागी सिपाही, 6 हज़ार की रिश्वत नाम रहा था। बता दें कि क्राइम ब्रांच में पदस्थ महेंद्र सिंह ने कई सालों की पुलिस सर्विस भोपाल के खास चुनिदा थानों में ही गुज़ार दी, पूर्व में भी दर्जनों अड़ीबाजी, लड़कीबाज़ी, रिश्वतख़ोरी, ज़बरन वसूली व जुल्म ज़्यादती की लिखित शिकायते इस ख़ाकीधारी खलनायक की हो चुकी है परन्तु लगता है जैसे पउए के ज़ोर तले दबकर कोई भी शिकायत कार्यवाही के अमल में नही पहुंच पाती है। शायद इसी का खामियाज़ा भुगता है क्राइम ब्रांच ने जो  कल तक अपराधियों की गिरेबान पकड़कर थाने घसीट के लाता था आज उसी की गिरेबान पकड़ घसीट के लोकायुक्त ले गई। लोकायुक्त की एक ख़ास टीम ने अपराध शाखा में पदस्थ प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह को 6 हज़ार की रिश्वत लेते दबोचा। दरअसल महेंद्र ने एक फ़रार जुआरी को ज़बरन झूठे मामले में फ़साने के एवज में मांगी थी 10 हज़ार की रिश्वत लेकिन भावताव के बाद 6 हज़ार की रक़म तय हो गई। फरियादी ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज़ करवाई जब महेंद्र सिंह ने रिश्वत की रकम वसूलने ख़ालिद कुरैशी नामक युवक को पेट्रोल पंप के पास बुलाया लेकिन आसपास सीसीटीवी कैमरे देख रिश्वतखोर सिपाही ने जगह परिवर्तन कर लिया जहां सीसीटीवी कैमरे तो नही थे परन्तु लोकायुक्त कि टीम कि खुली आंखे देख रही थी। 

ऐसे में वक़्त रहते आला अफसरों को मैदानी पुलिस के विरुद्ध होने वाली   शिक़ायतों पर गम्भीरता दिखाना चाहिए वरना इसी तरह हर रोज़ पुलिस की आस्तीन के सांप ख़ाकीधारी खलनायक बन भोपाल पुलिस की इज्ज़त का जनाज़ा उठाते रहेंगे।

जल्द पढ़े ( प्रदेश की हक़ीकत ) में भोपाल क्राइम ब्रांच की शहर में पल रही अवैध लुगाई और पैसा उगाई की सनसनीखेज़ कारगुज़ारी! 



भृष्टयकजर जुर्मे वारदात


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