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आला अफ़सर के गिरफ़्तारी वॉरेंट के बाद भी पुलिस ने नही करा अदालत के आदेश का पालन!

20 Jul 2022

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Anam Ibrahim

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पूर्व ADM, पूर्व ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर, वतर्मान सम्पदा एडीशनल डॉयरेक्टर भ्रष्टाचार हेरफेर का नटवरलाल जालसाझी कर पैसा उगाई करनेवाले विवेक सिंह का हुआ जबलपुर अदालत से गिरफ़्तारी वॉरेंट जारी! ओहदेदारी के आगे मज़बूर पुलिस बेचारी ने इस अफसर को भी दिया बचने का मौक़ा!!!


जनसम्पर्क Life

National News Agency 

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भोपाल:  आम नागरिक ज़ुल्म ज़्यादती का शिकार बने तो पुलिस के पास जाएगा, अगर पुलिस का शिकार बने तो अदालत का दरवाज़ा खटखटाएगा, गर अदालती फ़रमान राहत परोसने के लिए जारी हो जाए तो फिर पुलिस के पास आएगा, अगर पुलिस भी माननीय न्यायालय के फ़रमान की तामील न करे तो फिर बेचारा फ़रियादी कहां जाएगा? ऐसा ही एक मामला पूर्व ADM व वर्तमान सम्पदा संचनालय के डिप्टी डायरेक्टर विवेक सिंह पुत्र बी.बी सिंह का सामने आया है जिसमे आरोपी अफसर के विरुध दिनांक 27.06.2022 को  न्यायालय से गिरफ़्तारी वॉरेंट जारी हुआ था जिसकी तामील की जवाबदेही थाना हबीबगंज की थी परन्तु अफ़सर की ओहदेदारी के आगे घुटने टेकती पुलिस कॉमिस्ट्रेट सिस्टम की क़ानून व्यवस्था बोनी साबित होते नज़र आई जिसने बता दिया कि निष्पक्ष कार्यवाही का गला घूट चुका है और क़ानूम केवल आला अफसर नेता और मालदारों की पैरवी करने पर ही आमादा है।



साहब ने खुद का कर्ज चुकाने के लिए एडीएम रहते हुए सरकारी खजाने से कांट दिए थे 10 लाख के चैक 

गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद संबंधित पुलिस ने दिया मौक़ा कल कोर्ट में हाजिर होने के बाद ये आला अफ़सर अपनी ही जमानत कराने के लिए बमुश्किल जुटा पाए थे 5 हजार रुपए एडीशनल डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट स्तर के एक अधिकारी मंगलवार को जिला अदालत के एक कटघरे में हाजिर हुए। जितना बडा पद आरोप भी उतने ही गंभीर। चैक बाउंस के मामले में गिरफ्तारी वारंट पर हाजिर हुए विवेक सिंह ने अपना निजी कर्ज अदा करने के लिए सरकारी खजाने से 10 लाख के चैक जारी कर दिए और वे भी बाउंस हो गए। जेएमएफसी समीर कुमार मिश्र की कोर्ट ने उन्हें 5 हजार रुपए के मुचकले पर जमानत देते हुए 19 जुलाई को पुन: हाजिर होने के निर्देश दिए है।  प्रकरण के अनुसार संपदा संचालनालय के डिप्टी डायरेक्टर विवेक सिंह और जबलपुर निवासी मनीष कुमार तिवारी की आपस में जान पहचान है। 


मुरैना में एडीएम पद पर रहते हुए निलंबित होने पर विवेक सिंह ने मनीष से जमीन जायदाद की खरीददारी के मामले में 10 लाख रुपए लिए थे। बाद में रुपए लौटाने में आना कानी करने लगे। मनीष के बार-बार कहने पर विवेक सिंह ने 10 लाख रुपए के चैक सौंपे। लेकिन जब उन्हें बैंक में क्लीयरेंस के लिए लगाया गया तो रकम न होने पर चैक बाउंस हो गए। 


कोर्ट में फर्जी जमानत..!

चैक बाउंस में लगातार गैर हाजिर होने की वजह से उनके खिलाफ 27 जून को गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। मंगलवार को वे कोर्ट में हाजिर हुए और जमानत की अर्जी दाखिल की। इस पर अधिवक्ता सतीश शर्मा की दलील रही कि मामले में फर्जी जमानतदार पेश किया जा रहा है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया और जमानत की शर्त रखी कि नगद रकम जमा करने पर ही जमानत का लाभ दिया जा सकता है। इसके बाद उन्हें नगद राशि पर जमानत देकर छोडा गया। 


30 दिन में क्षतिपूर्ति वरना वेतन काटने को कहेंगे- 

इसी मामले में क्षतिपूर्ति के संबंध में सुनवाई के बाद कोर्ट ने अंतरिम परिवादी को राहत देते हुए आरोपी अफ़सर को निर्देश दिए है कि वह 30 दिनों के भीतर 2 लाख रुपए अदा करे। कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए यह भी कहा है कि तय समय में ऐसा नहीं किया गया तो अदालत सबंधित जिला प्रशासन को पत्र लिखकर वेतन से कटौती करते हुए अंतरिम क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए निर्देश देगी।



साहब का दाग़दारी भ्रष्टाचारी से है पुराना नाता

बता दे इस भ्रष्ट अफ़सर पर  पूर्व में भी कलेक्टर की बिना अनुमति लिए जिला मुख्यालय छोड़ने और जिला पंचायत चुनाव में जमकर गड़बड़ी करने के कारण मुरैना के एडीएम रहते हुए  भ्रष्टाचारी अफसर का  सारा शरीर  दाग़दारी से  लिप्त था जिसके चलते  विवेक सिंह को तत्कालीन चंबल आयुक्त ने सस्पेंड कर दिया था। पूर्व में भी ग्वालियर नगर निगम कमिश्नर रह चुके इस विवेक सिंह का नाम बड़े घोटाले में भी आ चुका हैं। जिस घोटाले के मामले में कुल 1805 फाइलें तैयार की गईं थीं, जिनमें करीब पौने दो करोड़ रुपए का भुगतान होना था। विवेक सिंह के तबादले के बाद नए कमिश्नर बन कर आए निकुंज श्रीवास्तव ने इन फाइलों को संदिग्ध मानते हुए एक जांच कमेटी बनाई थी, जिसमें इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। बाद में इसकी शिकायत लोकायुक्त में की गई थी जहां 


 ज़नाब-ए-गोलमाल पर सालों जांच चली 


अब बचा गोलमाल का वो मामला जिसमे हाल ही में जनाब डिप्टी डॉयरेक्टर संपदा के ख़िलाफ़ जबलपुर  न्यायालय से गिरफ़्तारी वॉरेंट जारी किया था जिसमे गिरफ़्तारी की जगह जनाब-ए-गोलमाल को पुलिस ने पूर्व की भांति राहत देते हुए  न्यायालय से ज़मानत लेने का मौक़ा दिया और आज दिनांक 19/7/22 को आरोपी विवेक सिंह जबलपुर पहुचे जहां आरोपी ने जज के समक्ष जमानती राहत लेने के लिए फ़र्जी जमानतदार पेश कर किया बतादें की आरोपी अफसर पूर्व में भी न्ययालय से ज़मानत लेने के लिए फ़र्जी जमानतदार पेश कर चुके है खैर इस बार आरोपी अफ़सर फ़र्जी जमानतदार पेश करने में फंस गया जिसके बाद जज द्वारा आरोपी अफसर पर 5 हज़ार का नगदी जुर्माना ठोका गया साथ ही अगली सुनवाई तक फ़रियादी को 2 लाख की रक़म अदा करने का सख़्त आदेश इस आधार पर दिए गए कि गर अगली सुनवाई तक रक़म जमा ना कि गई तो वेतन से ये राशि काट कर वसूली जाएगी


उफ़.... क़ानूम व्यवस्था 107,116,151 जैसे साधारण अपराधों में पुलिस घर मे घूस कर ग़रीबो को धो रही है दूसरा वहीं सब DRM पर संगीन बलात्कार का मुक़दमा दर्ज होने के बाद मामले में जांच चल रही है। तो MPEB के आला अफसर पर बलात्कार का घिनौना प्रकरण दर्ज होने के बाद जांच चल रही हैं। और इसी जांच की आड़ में साहब का प्रमोशन होकर तबादला भी कर दिया जा रहा हैं। शहर के आदतन गुंडों के दरमियां गैंग वार गोली बारी होने के बाद भी गिरफ्तारी की जगह अग्रिम जमानत लेने का मौका दिया जा रहा हैं। जल्द पढ़े एक दर्जन से अधिक न्यायालय के गिरफ्तारी वारेंटो की तामील नही करने वाले शरारती न्यायालय पर भारी चंद वर्दीधारी ख़ाकीदारियो के रोमांचक खुलासे सिर्फ जनसम्पर्क life पर ।

मध्यप्रदेश जुर्मे वारदात भृष्टयकजर ताज़ा सुर्खियाँ


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