【 RNI-HIN/2013/51580 】
【 RNI-MPHIN/2009/31101 】
08 Dec 2019
कांग्रेसी कार्यकर्ता सत्ता में नही थे तब भी पुलिस के डंडे खाते थे और आज भी खा रहे हैं!!!
Anam Ibrahim
7771851163
जनसम्पर्क life
भोपाल: टेढ़ी-मेढ़ी लचकदार चाल चलकर हाथ जोड़ 14 साल सूबे में शराफ़त का सियासी शोल ओढे फ़िरने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिब्बू उर्फ शिवराज सिंह चौहान उर्फ़ मामूजान का जलवा अब भी बरक़रार है।...,
जी हां, दुश्मनों हुक़ूमत किसी की भी हो लेकिन बादशाह वो ही कहलाता है जिसका हुकुम सेना अपने दिल से बजाती हो।या अवाम उसके इशारे पर हुकुम बजाने वाली सेना पर भारी पड़ जाती हो , ख़ैर सियासत की बदनाम गली में आज कुछ इस ही तरह का तमाशा प्रदेश की राजधानी के शाही सियासी आशियानों के ईर्दगिर्द उस वक़्त नज़र आया जब सत्ताधारी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की फ़ौज खुद की हुकूमत होने के बावज़ूद भी पुलिस के डंडों से धुलती दिख रही थी। बता दें की प्रदेश की सत्ता के रचैता कहे जाने वाले प्रदेश के कांग्रेसी कार्यकर्ता अपनी ही हुक़ूमत के लाभ लेने के लायक़ नहीं रहे, वो भी ख़ासतौर पे राजधानी में! तो फिर सोचिए प्रदेशभर के काँग्रेसी कसरीकर्ताओ की आप बीती का मंज़र क्या होगा?
मामला कुछ यूं हुआ कि शिवराज ने हार के बाद हुक़ूमत के वज़ीर का चोला उतार के कमलनाथ को तो सौंप दिया लेकिन हुक़ूमत अचानक छीनने का गिला गले से लगाकर चल दिए। यहीं वज़ह है कि शिवराज अपनी खुद की पार्टी की गरिमा के गले पर पैर रख जन-मजबूरियों की नफ़्स को दबा जरूरतमंद सामाजिक मुद्दों के सहारे मुख्यमंत्री कमलनाथ को लगातार रुसवा करने की क़वायद कर रहे है। बहरहाल हाल ही में प्रदेश के राजनैतिक पक्ष-विपक्ष के जिम्मेदार गुटों के लिए प्रदेश के पक्ष में कुछ निर्णय लेना प्रदेश के भले के लिए कुछ करना तो दूर की बात है प्रदेश के लिए कुछ सोचने की जगह भी ये लोग आपसी घेराव के सहारे एक दूसरे की इज्ज़त उधेड़ अभियान चला रहे हैं । ऐसे में सत्ता के हर अच्छे-बुरे अमल पर पुरविरोध बयानबाज़ी करने वाले शिवराज के पास खुद की शख़्सियत को सियासत में जिंदा दर्शाने के लिए महज़ सूबे की सरकार के ख़िलाफ़ उल्टी कर पेट में जगह बना TRP खाने के अलावा और कोई चारा भी तो नही बचा है लेकिन हैरत की बात है कि मुख्यमंत्री नही रहने के बावज़ूद भी शिब्बू की सल्तनत आज सूबे के शासकीय खेमों में बरकरार है। वजह आज जब शिवराज की हुक़ूमत के खिड़की दरवाज़े तोड़कर मुख्यमंत्री आवास से बेदख़ल करने वाले कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी ही हुक़ूमत में अपने आकाओं के इशारे पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज का बंगला फ़तेह करने पहुंचे थे तो वहां रास्ते मे रोड़ा बन कांग्रेस सरकार की ही पुलिस ने उनकी ज़बरदस्त धुलाई करदी जबकि देखा गया है कि जिसकी सत्ता उसकी बात साबित करने के लिए सिर्फ़ एक कहावत ही काफी रही है (जिसकी लाठी उसकी भैंस) लेकिन ये क्या जिसकी लाठी उसकी ही पिट पर पड़ रहे हैं कोड़े और भैंस तो किसी और के इशारे पर ही चल रही है। सत्ता में रहते हुए भी सुकून नही ऐसे नेताओं की चापलूसी का नतीजा है कि आज खुद की सरकार रहने के बाद भी जब इन्ही कार्यकर्ताओं ने अपने मुख्यमंत्री कमलनाथ के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक भाषण वो भी शिवराज के मुंह से सुने तो उनसे सहा नही गया और Get well soon अभियान के तहत शिवराज के घर चलो के नाम पर 4 से 5 सौ की सामूहिक शक्ल में एक हो गए, शिवराज के घर उस वक़्त जाने लगे जब खुद शिवराज ही अपने घर पर नही थे। ख़ैर मौक़े पर पहुंचते ही पुलिस के लगाए हुए बेरिकेट को देखते ही तोड़ते वाले सत्ताधारी कांग्रेस के पद अधिकारी व कार्यकर्ताओं के सामने वो मंज़र आ खड़ा हुआ जिसका मुक़ाबला वो गर्दिश के बीते हुए दिनों में 14 सालो से भाजपा की विपक्षी सत्ता के सामने लाठीचार्ज, आंसूगैस व जेल-भेजू मुहिम के हिस्से बन करते चले आ रहे थे लेकिन आज जब कांग्रेस के सत्ताभाईयों के सामने फिर लाठी के ज़ोर का वो मंज़र गुज़रा तो एक मंत्री का क़रीबी भी पुलिस की लाठी का शिकार बनते आंखों के सामने दिखा जिसे जबरदस्त झूला झुलाते हुए धुक्कस धुलाई के बाद जब वो अधमरा हो गया तो उसकी जान बचाने के लिए जिला चिकित्सालय मे भर्ती करवाना पड़ा।
बता दें की पुलिस की लाठियों से कुत्ता पिटाई खाने वाला एक मंत्री का ख़ास है जो हमेशा उनकी कार में ही घूमता नज़र आता है। ऐसे मे इस मामले की तह तक जाकर सोचना जायज़ है कि आख़िर जनता के पाले हुए विश्वास पर खड़ी ये हुक़ूमत प्रदेशभर के काम आने वाले कार्यो को अंज़ाम देने की जगह विपक्षियों के सियासी स्वतंत्र अधिकारों पर ग़ुस्सा क्यों कर रही है?
कौन है सत्ता के मंत्री विधायक जो कमलनाथ के ऐसे करीब हैं जैसे आस्तीन के सांप???
एक तरफ़ कांग्रेस प्रदेश की हुकूमत के लुफ़्त उठा बादशाहत कर रही है तो वहीं चंद कांग्रेसी नेता अपना सिक्का नही चलता या धीरे-धीरे चलता के तहत कार्यकर्ताओ के विश्वास का ब्लात्कार कर रहे हैं। अगर शिवराज के लफ्ज़ इतने बुरे लगे थे मुख्यमंत्री के क़रीबी उगाउँ बेहकाउ नेताओ को तो खुद आज शिवराज के बंगले को घेरने जाते लेकिन कार्यकर्ताओं को कॉन्डम की तरह इस्तेमाल करना कहां तक ठीक है? जब कि आज ये जो कांग्रेस की सत्ता का सूबे के समंदर में तैरता हुआ बादशाहत का ज़हाज़ जो दौड़ रहा है वो भी तो कार्यकर्ताओं की बदौलत है आज इन्ही में से एक मंत्री के इशारे पर ग़दर मचाने आए हुए कार्यकर्ताओ के साथ क्या हुआ?।
जल्द पढ़े प्रदेश की हक़ीक़त के पन्नों पर प्रदेश में पनपते सियासत के शैतानों के द्वारा सामाजिक नुकसान पहूंचाने वाली षड़यंत्रों की संपूर्ण सत्यकथा.....
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